Sunday, May 3, 2015

पुरुषों के स्वभाव को प्रभावित करते ग्रह ( सूर्य , चन्द्र , मंगल ,बुध )




पुरुषों के स्वभाव को प्रभावित करते ग्रह ( सूर्य , चन्द्र , मंगल ,बुध )

सौरमंडल के नौ ग्रह सारी  प्रकृति पर अलग -अलग तरह से प्रभाव डालती है। महिला ,पुरुष और बच्चे सभी की अलग -अलग प्रवृति होती है तो ग्रह भी अलग तरह से ही प्रभाव डालेंगे। यह लेख , पुरुषों पर ग्रहों के प्रभाव से उनके स्वभाव किस तरह का बन जाता है , पर दृष्टिकोण डालता है।

सूर्य :--  सूर्य पिता और आत्मा का कारक ग्रह है। जिन पुरुषों का सूर्य बलवान और उच्च अंशों का होता है राज योग करक होता है। अग्रणी ,न्याय प्रिय , समाज में अच्छा नाम और रौब होता है। सूर्य की  भांति ही तेज़ चेहरे पर होता है।

   जिनका सूर्य कमज़ोर होता है वे आत्मा पर बोझ सा लिए घूमते हैं। हर बात में संशय या अनिर्णय कि सी स्थिति रखते हैं। घटना के घटने से पूर्व ही चिंता ग्रस्त रहते हैं। ऐसे व्यक्ति का पिता से अच्छा तालमेल नहीं होता। जो असमय पिता को खो देते है उनका भी सूर्य कमजोर हो जाता है। आत्मा -हृदय पर बोझ रखते -रखते वे एक दिन हृदय रोगी बन जाते हैं। खराब सूर्य नेत्र रोग भी देता है।

   कुण्डली में अगर सूर्य अच्छा हो कर उग्र हो जाए तो व्यक्ति अहंकारी हो जाता है। बिन मांगे राय देने वाला या अपनी बात थोपने वाला बन जाता है। जब बात नहीं मणि जाती तो धीरे -धीरे अवसाद में घिरने लग जाता है और हृदय रोग से ग्रसित हो जाता है। ऐसा इंसान ताम्बे में जल पिए। और सन्तरी रंग से परहेज़ करे बल्कि दान दे। गेहूं और गुड़ का दान भी लाभदायक रहेगा।

    इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है कि पिता का सम्मान करे। नित्य सुबह उठते ही पिता के पैर छुए। पिता को कभी -कभी सफ़ेद वस्त्र भेंट दे। अगर पिता नहीं है तो वृद्ध जनो का सम्मान करे।

   उगते हुए सूर्य के दर्शन , रविवार का व्रत , आदित्य -हृदय स्त्रोत का पाठ और सूर्य को जल अर्पण करें। गायत्री मन्त्र का जप भी लाभदायक रहेगा। उगते हुए सूर्य के रंग के रुमाल , सिरहाने के कवर , बीएड-शीट , कमीज़ का रंग अधिक प्रयोग करें तो फायदेमंद रहेगा। ताम्बे के गिलास में पानी पीना भी लाभप्रद रहेगा। सूर्य अगर अच्छा फल नहीं दे रहा हो तो या नेत्र रोग और हृदय रोग अधिक सता रहा हो तो जातक को जन्म-दिन या अमावस्या को अपने वजन के बराबर गेहूं और गुड़ गऊ -शाला में दान करे।

      चन्द्रमा :-- चंद्रमा मन और माता का करक है। जिन पुरुषों कि जन्म-कुंडली में चंद्रमा अच्छा फल देता है वे उच्च कल्पनाशील होते हैं। दृढ़ निश्चयी होते हैं। शुक्र और बुध के साथ चंद्रमा का मेल होता है वे अच्छे कलाकार , लेखक और फैशन जगत में प्रसिद्ध होते हैं।

      कमज़ोर चंद्रमा मन की स्थिति को डांवाडोल रखती है। शक करने की आदत , बिना कहे ही बात का अंदाज़ा लगा कर अपनी राय  प्रकट करना , मन के भाव या मन की बात ना कह पाना , बात करते हुए अगल-बगल झांकना और पैर हिलाना ये सब कमज़ोर चंद्रमा की  निशानी है।

 अच्छा चंद्रमा उग्र हो जाये तो व्यक्ति अति कल्पना शील हो जाता और मानसिक उन्माद से घिर जाता है। ऐसे में सफ़ेद वस्त्रों का दान और सोमवार को मंदिर में चावल और दूध का दान करे।

       इसके लिए सलेटी , काले और नीले रंगों का इस्तेमाल ना किया जाय तो बेहतर रहेगा। यहाँ यह सवाल उठाया जा सकता है कि पुरुषों के परिधान अधिकतर इन्ही रंगों के होते हैं तो ये रंग छोड़े कैसे जा सकते हैं। इसके लिए सफ़ेद अंतर्वस्त्र पहने जाएँ। सफ़ेद रुमाल और हलके रंग कि बेड -शीट का प्रयोग किया जा सकता है। पानी का दुरूपयोग न करें। चाँदी के गिलास  में पानी और दूध ,पानी में केवड़ा का एसेंस डाल  कर पीना भी लाभदायक रहेगा। पूर्णिमा के चाँद को निहारना भी कमज़ोर चन्द्र को मज़बूत करता है।
      चंद्रमा को मज़बूत और शांत करने के लिए शिव आराधना भी लाभकारी होती है।

   मंगल :-- मंगल रक्त और रक्त-संबधों ,भूमि और मकान का कारक है। यह शक्ति का परिचायक होता है। अच्छा मंगल व्यक्ति को सेनाध्यक्ष या समाज में अग्रणी बनाता है। यह जरूरी नहीं कि मज़बूत मंगल से प्रभावित व्यक्ति पुलिस या सेना में पद प्राप्त करता है। वह जो भी जिम्मेदारी उठता है उसे बखूबी निभाता  भी है। शानदार व्यक्तित्व , भाइयों से अच्छे सबंध अच्छे मंगल का परिचायक है। उत्तम भूमि और भवन का स्वामी होता है।
 कुंडली में उग्र मंगल व्यक्ति को अपराधी प्रवृत्ति का बनाता  है।

   कमज़ोर मंगल व्यक्ति को दब्बू और कायर बनाता है। चेहरा निस्तेज और कमज़ोर व्यक्तित्व , भाइयों से अनबन या उनसे दब कर रहना कमज़ोर मंगल का परिचायक है।

बुध :-- बुध ग्रह मौसी ,बुआ ,वाणी , बुद्धि और चर्म रोगों का कारक  है। जन्म कुंडली का बुध अगर दूषित ग्रहों के सम्पर्क में हो या कमज़ोर अवस्था में हो तो वह इंसान को कम बुद्धिमान या भाषा में कमजोर बना देता है। वह एक तरह से दब्बू बन के रह जाता है। कमजोर बुध को बलवान करने के लिए गणेश जी , सरस्वती माँ की आराधना करे। हरे रंग की  वस्तुओं का सेवन करे। हरे वस्त्रों का प्रयोग करें।

     लेकिन अगर यही बुध ग्रह कुंडली में बलवान हो जाता है तो  ऐसे बुध से प्रभावित इंसान बोलने में , लेखन कला में और वाकपटुता में माहिर होता है। हास्य -व्यंग्य में सबसे आगे और बात में से बात निकलने वाला होता है। किसी इंसान का अच्छा बुध हो तो वह बात इस तरह से कह जाता है कि सामने वाले को मालूम भी हो जाये और किसी को पता भी नहीं चले।

      लेकिन जब भी बुध  केंद्र का स्वामी हो कर केन्द्राधिपत्य दोष से ग्रसित हो जाता है। तब यह अपने विपरीत परिणाम देने लग जाता है। ऐसा बुध इंसान की  बुद्धि पर हावी होकर बुद्धि पर नियंत्रण कर लेता है। उसे नहीं मालूम चलता कि वह क्या बोल रहा है। सामने वाले के मन को  कितनी चोट पहुंचेगी। वह इंसान बुध के वशीभूत हो कर स्वयं ही निर्णायक बन जाता है कि क्या सही है और क्या गलत। वह सिर्फ अपने विचार ही दूसरे पर थोपता है। ऐसा बुध इंसान को अलग थलग कर देता है और वह एक दिन अवसाद में घिर जाता है।

    ऐसे में उसे हरे रंग से परहेज़ करना चाहिए। हरा वस्त्र , हरा चारा और मूँग की दाल का दान करे। 

  ॐ शांति

देव शासनम् Web Developer

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