पुरुषों के स्वभाव को प्रभावित करते ग्रह (वृहस्पति , शुक्र ,शनि)
वृहस्पति :-- वृहस्पति बुद्धि ,ज्ञान , सम्मान , दया और न्याय का करक ग्रह
है। जिस व्यक्ति का जन्म कुंडली में वृहस्पति ग्रह उत्तम स्थिति में होता
है वह व्यक्ति विद्वान और धर्माधिकारी होता है। वह किसी के प्रति अन्याय
नहीं करता और ना ही होने देता है। पूजा -पाठ मे अधिक ध्यान देता है।
लेकिन ज्ञान की अधिकता होने से कभी -कभी व्यक्ति में अहंकार भी आने लगता है। बिन मांगे राय या कहिये कि अपनी बात ही सर्वोपरि रख कर थोप देना भी स्वभाव बना लेता है। और यह अहंकार व्यक्ति में अकेलापन और शरीर में मेद की अधिकता करता है। जिस कारण मोटापे में वृद्धि होकर शरीर थुलथुला हो जाता है।
वृहस्पति को सुधारने के लिये व्यक्ति को पूजा -पाठ की अधिकता से बचना चाहिए। सुबह या शाम को मंदिर जाना चाहिए। लेकिन आरती के समय नहीं बल्कि पहले या बाद में। ऐसा करने से अपने ईष्ट से अधिक नज़दीकी महसूस कर सकता है और मन शांत रहेगा।
लोगों से मेल -जोल अधिक बढ़ाये और उनका दुःख -दर्द सुने , समस्याओं का समाधान करें। अगर किसी वृद्धाश्रम मे जा कर उनका दर्द बाँट सके तो वृहस्पति अच्छे फ़ल देने लगता है। यहाँ पर मेरे कहने का अभिप्राय यह नही है कि वृद्धाश्रम मे जाकर फल -मिठाइयां बाँट कर आये। वह जाकर उनके चेहरे पर मुस्कान और दिल मे ख़ुशी बाँट कर आयें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
पीले रंग से परहेज़ करें। वीरवार को पीली भोज्य वस्तु या वस्त्र दान दी
जा सकती है। वीरवार का व्रत भी लाभक़ारी रहेगा। विष्णु भगवान की पूजा और
मन्त्र भी लाभकारी हैं।
कमज़ोर वृहस्पति व्यक्ति को निस्तेज , नास्तिक ,निराशावादी , पेट संबन्धित बीमारी और विवाह और संतान मे विलम्ब देता है। अगर ऐसा है तो वृहस्पति को मज़बूत करने के उपाय करने चाहिए। पीला भोजन ,वस्त्र का प्रयोग अधिक किया जाना चाहिए। व्रत करना भी लाभकारी रहेगा। वृद्ध ब्राह्मण की सेवा , मज़बूरों की शिक्षा में सहयोग भी वृहस्पति को मज़बूत बनाता है।
शुक्र :-- शुक्र ग्रह पुरुषों में विवाह , संतान , मनोरंजन , शयनसुख और ऐश्वर्य का कारक है। शुक्र से प्रभावित व्यक्ति ( अगर लग्न में शुक्र हो ) सांवले रंग का होता है। शुक्र गोरे रंग का नहीं बल्कि सौंदर्य का प्रतीक होता है। चेहरे से ही झलकता है अच्छा शुक्र। अच्छा शुक्र व्यक्ति को आकर्षक व्यक्तित्व के साथ -साथ उत्तम भवन ,वाहन , वस्त्राभूषण और सुखसुविधा प्रदान करता है। संगीत , कला और काव्य में पारंगत होता है। जन्म कुंडली का अच्छा शुक्र व्यक्ति को उत्तम चिकित्स्क और ज्योतिषी भी बना सकता है।
कमज़ोर शुक्र सौंदर्य में कमी सुख सुविधा में कमी , जीवन साथी से दूरी , नेत्र रोग, गुप्तेन्द्रीय रोग,वीर्य दोष से होने वाले रोग , प्रोस्ट्रेट ग्लैंड्स, प्रमेह,मूत्र विकार ,सुजाक , कामान्धता,श्वेत या रक्त प्रदर ,पांडु इत्यादि रोग उत्पन्न करता है।
कमज़ोर शुक्र को बलवान करने के लिए क्रीम रंग के कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए। शुक्रवार का व्रत , देवी उपासना ( लक्ष्मी और दुर्गा ) करनी चाहिए। शुक्रवार को कन्याओं को खीर खिलाना , गाय को चारा डालना भी उचित रहेगा। आलू का दान भी शुक्र मज़बूत करता है।
दूषित शुक्र से प्रभावित व्यक्ति समाज विरोधी गतिविधियों में संलग्न रहता है। मित्रों से नहीं बनती ,स्त्रियों में अधिक रूचि लेता है। सिनेमा , अश्लील-साहित्य और काम-वासना की ओर अधिक ध्यान रहता है। ऐसे में व्यक्ति को दुर्गा माँ की आराधना , नारी जाति के प्रति सम्मान की भावना और सफ़ेद दूधिया रंग के वस्त्रों का दान करना चाहिए। खुशबुओं का प्रयोग अधिक मात्रा में ना करे।
शनि :-- शनिग्रह के कुंडली में ग्रहों के साथ और किस भाव में स्थित है यह महत्वपूर्ण होता है क्यूंकि शनि जिस किसी भी भाव में स्थित होता है उस भाव की वृद्धि करता है लेकिन जिस भाव पर दृष्टि पड़ती है उस भाव के सुखों में कमी लाता है।
अच्छा शनि व्यक्ति को न्याय प्रिय , विदेशी भाषा में पारंगत , उच्चाधिकारी , लोहे सम्बन्धी व्यापार का कारक बनता है। शनि ग्रह से प्रभावित व्यक्ति अपनी अलग विचारधारा बना कर रखता है। समाज से हट कर सोच रखता है।
कमज़ोर शनि से व्यक्ति आलसी , कामचोर और निर्धन बनता है। झगड़ालू भी बनाता है शनि ।
शनि अँधेरे का कारक है जिस कारण से व्यक्ति निशाचर बना रहता है मतलब यह है कि अपराधी प्रवृत्ति अपना लेता है। वात रोग , अस्थि रोग , मनोन्माद भी यही देता है। पेट के रोग,जंघाओं के रोग,टीबी,कैंसर आदि रोग भी शनि की देन है।
शनि को मज़बूत के लिए व्यक्ति को आचरण में सुधार लाना होगा। देश के प्रति प्रेम ,सेवा और सद्भावना रखनी होगी। हर कोई तो सीमा पर जा कर प्रहरी नहीं बन सकता तो देश सेवा के और भी मायने है जैसे राष्ट्रिय संपत्ति की सुरक्षा , पानी -बिजली की फिजूल खर्ची ना करना और अपने देश के प्रति कर्तव्यों का भली भांति पालन करना भी शनि ग्रह अच्छा फल देने लग जाता है।
अपने नौकरों दया भाव रखना भी शनि को अनुकूल बनाता है। काली माता , हनुमान जी और शिव जी की आराधना , शनि स्त्रोत ,हनुमान चालीसा , सुन्दरकाण्ड का पाठ तथा दुर्गा शप्तशती का पाठ शनि को शांत करने में सहायक है। काले , गहरे नीले रंगों का इस्तेमाल ना करें बल्कि शनिवार को दान दें। शनिवार को राज़मा , काले उड़द और तेल का दान भी उपयुक्त रहेगा। शनिवार को चमेली के तेल का दीपक हनुमान जी के आगे करना शनि को शांत करेगा।
( ॐ शांति )जारी....!
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