श्राद्ध के प्रकार, जानिए कौन-कौन कर सकता हैं दिगंवतों का श्राद्ध
अपने परिवार के कल्याण हेतु पितरों का श्रद्धापूर्वक तर्पण करना चाहिए। यदि उन्हें सम्मानपूर्वक तर्पण मिलता है तो वे गृहस्थ वंशज को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। यदि उन्हें कुछ नहीं मिलता और वे निराश होकर शाप देकर लौट जाते हैं।
जानिए कौन-कौन हैं श्राद्ध करने के अधिकारी...
नित्य- यह श्राद्ध के दिनों में मृतक के निधन की तिथि पर किया जाता है।
नैमित्तिक- किसी विशेष पारिवारिक उत्सव, जैसे पुत्र जन्म पर मृतक को याद कर किया जाता है।
काम्य- यह श्राद्ध किसी विशेष मनौती के लिए कृत्तिका या रोहिणी नक्षत्र में किया जाता है।
जानिए श्राद्ध के अधिकारी :
* पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए।
* पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
* पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए।
* एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है।
* पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं।
* पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।
* पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है।
* पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए।
* एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है।
* पुत्री का पति एवं पुत्री का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं।
* पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं।
* पुत्र, पौत्र या प्रपौत्र के न होने पर विधवा स्त्री श्राद्ध कर सकती है।
* पत्नी का श्राद्ध व्यक्ति तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो।
* पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।
* गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी माना गया है।
* पत्नी का श्राद्ध व्यक्ति तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो।
* पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है।
* गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी माना गया है।
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