ज्योतिष में ध्यान रखने योग्य खास बातें
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1👉 कुंडली में सबसे अहम स्थान लग्न का है। लग्न से ही जातक की सोचने की क्षमता, कार्य में लग्न, दूसरों पर पड़ने वाले प्रभाव, विचारधारा आदि को देखा जाता है। जिनका लग्नेश या लग्न खराब हो ऐसे जातक जिंदगी में कभी उपर नहीं उठ पाते।
2👉 कोई भी ग्रह यदि दूसरे या ग्याहरवें भाव का स्वामी होकर नीच शत्रुग्रही भी क्यू ना हो फिर भी अपनी महादशा में रूक रूक कर जरूरतो को हिसाब से धनार्जन के मौके देता रहता है।
3👉 हर ग्रह की अपनी एक उच्च व नीच राशी होती है। नीचे दी तालिका से आप पता लगा सकते हैं:-
1. सूर्य - मेष में उच्च, तुला में नीच
2.चंद्र - वृषभ में उच्च, वृश्चिक में नीच
3.बुध - कन्या में उच्च, मीन में नीच
4.शुक्र - मीन में उच्च, कन्या में नीच
5.मंगल - मकर में उच्च, कर्क में नीच
6.गुरु - कर्क में उच्च, मकर में नीच
7.शनि - तुला में उच्च, मेष में नीच
8.राहु - मिथुन में उच्च, धनु में नीच
9.केतु - धनु में उच्च, मिथुन में नीच।
4👉 जब कोई ग्रह अपनी उच्च राशी का हो तो उससे सप्तम भाव में उस ग्रह की नीच राशी पर दृष्टी होने से उस भाव को सहायता करता है।
5👉 यदि नीच का ग्रह हो तो जिस भाव में हो व अपने से सप्तम भाव को नुक्सान पहुंचाता है।
6👉 यदि एक ही भाव में दो ग्रह हों जिनमें से एक उच्च का व दूसरा नीच का हो तो नीच ग्रह का दान करना चाहिए। जैसे कर्क राशी में गुरू व मंगल होने से गुरू की उच्च व मंगल की नीच राशी हुई तो दान मंगल का होगा ना कि गुरू का।
7👉 सप्तम भाव से सूर्य चन्द्र या शनि का संबंन्ध होने से विवाह में देर होती है या पति पत्नि के आपस में संबंध खराब ही रहते हैं।
8👉 कुंडली के 6/8/12 भावों में बैठा कोई भी ग्रह शुभ नहीं होता।
9👉 जिनका चन्द्र खराब हो ऐसे जातक अक्सर बिमार ही रहते हैं। मन में स्थिरता नही होती। बात बात पर बदल जाते हैं। कोई भी काम में फोक्स नहीं कर पाते।
10👉 यदि दो ग्रहों का आपस में राशी परिवर्तन हो तो उनके उपाय करते वक्त ग्रहों के वार में भी परिवर्तन करना जरूरी है। राशी परिवर्तन का मतलब है जब दो ग्रह एक दूसरे की राशी में हों। जैसे शनि कन्या में तथा बुध मकर में होने से दोनों का राशी परिवर्तन बनता है। तो शनि का दान बुधवार तथा बुध का दान शनिवार के दिन करना अनिवार्य है।
11👉 कुंडली के मंद व अस्त ग्रहों का व्रत करना विशेष फलदाई होता है अन्यों का नहीं।
12👉 हर कुंडली में ग्रहों की स्थिती अलग अलग होती है तो उपाय भी अलग अलग ही रहते हैं। इसलिए किसी की देखा देखी या कोई भी उपाय या रत्न यूं ही ना आजमाते रहें वर्ना नुक्सान दे सकते हैं।
13👉 जब कुंडली में सूर्य+राहु या केतु जनित ग्रहण दोष, गुरू+राहु या केतु जनित चांडाल दोष या सूर्य शनि की राशीयो में, शनि सूर्य या चन्द्र की राशी में, राहु या केतु सूर्य या चन्द्र, चन्द्र सूर्य या शनि की राशी में हों तो ऐसे जातक साधारण ज्योतिषीय उपाय अपना प्रभाव देना बंद कर देते हैं। ऐसे जातकों को ज्योतिष के साथ साथ तंत्र अथवा वैदिक जप लंबे समय तक करते या कराते रहने से ही आराम मिल सकता है।
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