आजीविका के उपाय
अपना अध्ययन पूरा करने के पश्चात प्रत्येक व्यक्ति रोज़गार के अवसर ढूंढता
है। जीवनयापन के लिए धन कमाना गृहस्ठ की अनिवार्यता है। कई लोगों को अच्छे
अवसर मिल जाते हैं, कई लोग धन के अभाव में कष्ट उठाते हैं। कुछ सरल उपायों
का अवलम्बन आप के भाग्य का द्वार खोल सकता है, इनका उल्लेख नीचे किया जा
रहा है:-
- किसी व्यक्ति को व्यवसाय में निरन्तर घाटा लग रहा हो तो वह ४१ दिनों तक सूर्योदय से पूर्व बिल्व वृक्ष के नीचे बैठकर "श्री रमायै नमः" मंत्र का जाप करे तो व्यावसायिक बाधाएं दूर हो जायेंगी।
- कोई व्यक्ति सरकारी नौकरी के लिए प्रयत्न कर रहा है अथवा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है तो उसे नरसिंहलक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए। यह स्तोत्र 'स्तोत्र रत्नावली' पुस्तक में उपलब्ध है। इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन नरसिंहलक्ष्मी के छविचित्र के सम्मुख एक बार करना चाहिये।
- जो लोग भूमि एवं निर्माण के व्यवसाय से जुड़े हैं उन्हें उन्नति के लिए वराह भगवान की उपासना करनी चाहिये। भागवत के पंचम स्कन्ध में पृथ्वी देवी द्वारा की गयी भगवान वराह की स्तुति का प्रतिदिन उनके चित्र के समक्ष एक बार पाठ करना चाहिये।
- जो व्यक्ति पहले से ही किसी पद पर कार्यरत हैं एवं पदोन्नति चाहता है तो उसे भगवान के पार्षद 'चक्रराज सुदर्शन' की स्तुति करनी चाहिये। दक्षिण भारत से प्रकाशित रामानुज सम्प्रदाय के स्तोत्र ग्रंथों में यह स्तुति उपलब्ध है।
- कोई व्यक्ति व्यवसाय में निरंतर मेहनत कर रहा हो फिर भी अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही हो, कारोबारी सौदे प्रायः बनते बनते बिगड़ जाते हों तो उसे भरत जी की उपासना करनी चाहिये। भरत जी का ऐसा चित्र सामने रखना चाहिए जिसमे भरत जी श्री राम जी की चरण पादुकाओं का पूजन कर रहे हों।
"विश्व भरत पोषण कर जोई
ताकर राम भरत अस होई"
इस चौपाई के सवा लाख ४५ दिन में करने पर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
यह लेख श्री मञ्जूषा पत्रिका में भरत शास्त्री जी द्वारा प्रकाशित किया
गया था। अपने और पाठकों के कल्याणार्थ इस ब्लॉग में पुनः प्रकाशित कर रहा
हूँ। आशा है पाठक इससे अवश्य लाभान्वित होंगे।
No comments:
Post a Comment