Wednesday, March 2, 2016

वैज्ञानिकों को गुजरात के समुद्र में मिला जिससे हुआ था समुद्र मंथन, वैज्ञानिकों ने भी की पुष्टि


वैज्ञानिकों को गुजरात के समुद्र में मिला जिससे हुआ था समुद्र मंथन, वैज्ञानिकों ने भी की पुष्टि
हिंदू धर्म में तो अनेक कथाएं है और हर कथा एक बहते ज्ञान की नदी की तरह है जिस से हम सबको कुछ ना कुछ सीखने को मिलता है। उसमें से एक कथा है समुंद्र मंथन की जहां देवताओं और असुरों ने नागराज वासुकी और मंदराचल पर्वत की सहायता से समुंद्र को मथा था और उसी मंथन से लक्ष्मी, चंद्रमा, अप्सराएं और भगवान धनवंतरि अमृत लेकर निकले थे।

Samudra Manthan (3)


लेकिन आज कुछ ऐसा समय है कि हिंदू धर्म को मानने वाले ही अपनी उन पुराणिक कथाओं को काल्पनिक समझते हैं, किंतु बहुत सारी हिंदू कथाएं ऐसी भी है जिनको विज्ञान खुद सत्य मानता है और उनमें से एक है समुद्र मंथन की कथा जिसका हाल ही में सत्य होने का प्रमाण मिला है।

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आर्कियोलॉजी और ओशनोलॉजी डिपार्टमेंट ने समुद्र मंथन जिस पर्वत से किया था उस पर्वत को खोज निकाला है। गुजरात के समीप ही समुद्र में यह पर्वत मिला। वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है की यह मंदराचल पर्वत ही है।
इस पर्वत का जिक्र विष्णु पुराण और भागवत पुराण में किया गया है। सूरत में स्थित एक छोटे से पिंजरात गांव के समुंदर में यह पर्वत पाया गया है, इस पर्वत के ऊपर नाग देवता की आकृति भी पाई गई है, यह आकृति पर्वत के बीचो-बीच बनी है।

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इस पर्वत का मितुल त्रिवेदी ने, जो की सूरत के आर्केलॉजिस्ट है, जब कार्बन टेस्ट किया तो नतीजे चौका देने वाले निकले। समुंद्र में पाए जाने वाले पर्वतो से बहुत भिन्न था। इस पर्वत की खोज असल में 1988 में हुई थी तब डॉ. एस.आर.राव इस साइट पर शोध कर रहे थे और मितुल त्रिवेदी उनके सहयोगी थे। पर तब शोध चल रहा था और इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी की यह समुंद्र मंथन वाला पर्वत है।
इस पर्वत पर गहन अध्यन करने के बाद इस बात की पुष्टि की गयी की यह समुन्द्र मंथन वाला ही पर्वत है। इस पर्वत में ग्रेनाइट की मात्रा भी अधिक पाई गयी है जो इसे समुंद्र के बाकी पर्वतो से भिन्न करता है।
ओशोनोलॉजी डिपार्टमेंट भी इस खोज से बेहद उत्साह में है और उन्होंने इस पर्वत की पुष्टि अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर भी साँझा की।
देव शासनम् Web Developer

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