अनन्त नामक कालसर्प योग
जन्मकुंडली में राहु लग्न में व केतु सप्तम में हो और उस बीच सारे ग्रह हों तो
अनन्त नामक कालसर्प योग बनता है। ऐसे जातकों के व्यक्तित्व निर्माण में कठिन
परिश्रम की जरूरत पड़ती है। उसके विद्यार्जन व व्यवसाय के काम बहुत सामान्य ढंग से
चलते हैं और इन क्षेत्रों में थोड़ा भी आगे बढ़ने के लिए जातक को कठिन संघर्ष करना
पड़ता है। मानसिक पीड़ा कभी-कभी उसे घर गृहस्थी छोड़कर वैरागी जीवन अपनाने के लिए
भी उकसाया करती हैं। लाटरी, शेयर व सूद में ऐसे जातकों की विशेष रुचि रहती हैं किंतु
उसमें भी इन्हें ज्यादा हानि ही होती है। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत ही डावाडोल रहती
है। जातक को माता-पिता के स्नेह व संपत्तिा से भी वंचित रहना पड़ता है। उसके निकट
संबंधी भी नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आते। उसे बार-बार अपमानित होना पड़ता है।
लेकिन प्रति कूलताओं के बावजूद जातक के जीवन में एक ऐसा समय अवश्य आता है जब
चमत्कारिक ढंग से उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। वह चमत्कार किसी कोशिश से नहीं,
अचानक घटित होता
है। सम्पूर्ण समस्याओं के बाद भी जरुरत पड़ने पर किसी चीज की इन्हें कमी नहीं रहती
है। यह किसी का बुरा नहीं करते हैं। जो जातक इस योग से परेशान हैं। उन्हें
निम्नलिखित उपाय कर लाभ उठाना चाहिए।
अनुकूलन के उपाय -
1 विद्यार्थीजन सरस्वती जी के बीज मंत्रों का एक वर्ष तक जाप करें और विधिवत
उपासना करें।
2 शुभ मुहूर्त में बहते पानी में कोयला तीन बार प्रवाहित करें।
3 हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें।
4 महाम्रित्युन्जय मन्त्र का जाप करें,अनन्त काल सर्प दोश का शान्ति होता है ।
कुलिक नाम कालसर्प योग
राहु दूसरे घर में हो और केतु अष्टम स्थान में हो और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों
के बीच में हो तो कुलिक नाम कालसर्प योग होगा। जातक को अपयश का भी भागी बनना पड़ता
है। इस योग की वजह से जातक की पढ़ाई-लिखाई सामान्य गति से चलती है और उसका वैवाहिक
जीवन भी सामान्य रहता है। परंतु आर्थिक परेशानियाें की वजह से उसके वैवाहिक जीवन
में भी जहर घुल जाता है। संतान सुख में बाधा और व्यवसाय में संघर्ष कभी उसका पीछा नहीं
छोड़ते। जातक का स्वभाव भी विकृत हो जाता है। मानसिक असंतुलन और शारीरिक व्याधियां
झेलते-झेलते वह समय से पहले ही बूढ़ा हो जाता है। उसका कठिन परिश्रमी स्वभाव उसे
सफलता के शिखर पर भी पहुंचा देता है। परंतु इस फल को वह पूर्णतय: सुखपूर्वक भोग
नहीं पाता है। ऐसे जातकों को इस योग की वजह से होने वाली परेशानियों को दूर करने
के लिए अनुकूलन उपाय -
अनुकूलन के उपाय -
1 देवदारु, सरसों तथा लोहवान को उबालकर उस पानी से सवा महीने तक स्नान करें।
2 श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।
3 शनिवार औ मंगलवार का व्रत रखें और शनि मंदिर में जाकर भगवान शनिदेव की पूजन
करें इससे तुरंत कार्य सफलता प्राप्त होती है।
4 राहु की मुख्य समिधा दुर्वा से पूर्णाहुति हवन कराएं और किसी
गरीब को उड़द व नीले वस्त्रा का दान करें
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