जमीन-जयदाद का फलना या न फलना

जैसे कि यह मामला। यहाँ समस्या ऑफिस नहीं वहाँ का वास्तु था। यहाँ यह स्पष्ट करना आवश्यक समझता हूँ कि मैं वास्तु के प्रति बढते पागलपन का सख्त विरोधी हूँ। वास्तु भाग्य के अधीन है, न कि भाग्य वास्तु के। कुण्डली से बहुत सरलता से जाना जा सकता है कि वर्तमान में कोई वास्तु दोष परेशानी की जड तो नहीं। ऐसी परिस्थिति में वास्तु निरीक्षण लाभकारी होता है। और अक्सर वास्तु मे बडी गलती कभी नहीं होती। आजकल मोटा-मोटा तो हर कोई किसी लेख या मित्र के माध्यम से जानता है। कमियां रहती ही हैं अनदेखी पर आँखों के सामने।
हाँ कभी कभी जमीन-जायदाद खरीदना या बेचना सच में कष्टप्रद समय ला सकता है। उसका पता जितनी आसानी से हाथ से लग सकता है शायद किसी और तरीके से नहीं।
No comments:
Post a Comment