Wednesday, March 2, 2016

जानिए किस भारतीय ने खोजा 1500 साल पहले मंगल पर पानी जानकार चकित रह जायेंगे आप


जानिए किस भारतीय ने खोजा 1500 साल पहले मंगल पर पानी जानकार चकित रह जायेंगे आप
मंगल पर पानी ढूंढने का प्रयास जोर शोर से यूएस के वैज्ञानिक संस्थान नासा और भारत का इसरो काफी समय से कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मंगल पर पानी का उल्लेख 1500 साल पहले ही भारत के एक वैज्ञानिक ने अपनी किताब में कर दिया था। वह महान खगोलविद् वराह मिहिर थे। वैज्ञानिक आज भी उनकी रिसर्च देखकर हैरान हो जाते हैं। उनका जन्म उज्जैन जिले के कपिथा गांव में हुआ था।

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वराह मिहिर के बारे में कुछ रोचक जानकारियां
– वराह मिहिर का जन्म सन 499 मे उज्जैन के एक छोटे से गांव कपिथा में हुआ।

– उनके पिता आदित्यदास सूर्यदेव के बहुत बड़े उपासक हुआ करते थे।

– बचपन से ही वराह मिहिर की रूची गणित एवम ज्योतिष में रही और उसी में उन्होंने शोध किया।

– उनके योगदान में समय मापक, गट्टी यंत्र, इंद्रप्रस्थ में लोह स्तंभ और वेदशाला की स्थापना शामिल है।

-उन्होंने सबसे पहले जो ग्रंथ पूर्ण किया वह था सूर्य सिद्धांत जो किसी कारणवश अभी उपलब्ध नहीं है।

– उसी सूर्य सिद्धांत ग्रंथ में इन्होंने मंगल की विशेषताओ का उल्लेख किया था।

– महान खगोलविद् वराह मिहिर ने आज से करीब 1515 साल पहले सूर्य सिद्धांत ग्रन्थ को रचा था।

– इसी ग्रन्थ में उंन्होने मंगल के अर्धव्यास के बारे में लिखा है।

– 2004 में नासा ने रोवर सैटेलाइट से मंगल पर पानी और लोहे का पता लगाया था।
– वराह मिहिर पुराणो का अध्यन कर अपने सूर्य सिद्धांत में मंगल पर पानी और लोहे का जिक्र किया था।

– आज के विज्ञानं के अनुसार सौरमंडल के सभी ग्रहों की उत्पत्ति सूर्य से ही हुई है और वराह मिहिर ने भी यही लिखा था की सभी ग्रहो की उत्पत्ति सूर्य से हुई है और मंगल भी सूर्य की संवर्धन किरण से जन्मा है।

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जब चोरी हो गया सूर्य सिद्धांत
वराह मिहिर ने सूर्य सिद्धांत में वैज्ञानिक आधार पर खगोलीय गणना की है।  यह ग्रंथ समय में कहीं गुम गया। ऐसा कहां जाता है कि इस ग्रंथ को चोरी कर लिया गया,  उसके पश्चात अनेक विद्वानों ने मिलकर सूर्य सिद्धांत को पुनः लिपिबद्ध कर उनकी रिसर्च को आगे बढ़ाने का काम किया।  अब यह पुस्तक पूरे विश्व में अनेक भाषाओ में उपलब्ध है। वराह मिहिर की गन्नाओ का तुलनात्मक अध्यन नासा के मंगल अभियान के समय भी रिटायर्ड आईपीएस अरुण उपाध्याय ने किया।  बाद में उन्होंने इस पर किताब भी लिखी और वह अब भारत के मंगल अभियान के डाटा का अध्ययन भी करते हैं।
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भारत के इतिहास में मंगल का अध्ययन
भारतीय खगोलविदो ने कइ समय पूर्व ही मंगल सहित अन्य सौर ग्रहों का अध्यन वैज्ञानिक रूप से कर लिया।  आप आज भी इन्हे सूर्य सिद्धांत, गरुण पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण में पढ़ा सकते है।  पुराणों के इलावा आप वराह मिहिर, भास्कर चार्य तथा आर्यभट्ट की रचनाओं में भी इसका उल्लेख पढ़ सकते हैं।  यह सभी सिद्धांत 1500 से 2000 साल पुराने हैं।  भारतीय खगोल विदो की गणना का माप योजन में है, जो आधुनिक माप में 12.75 किमी के बराबर है।
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