हनुमान चालीसा की सिद्धि
* 3 फरवरी को मंगलवारीय पूर्णिमा + पुष्य नक्षत्र का शुभ योग *~ 3 फरवरी
से शुरू करे संकट हरण-मंगल करण"हनुमान चालीसा" की
सिद्धि~===================================================मंगल को जन्मे
मंगल ही करते मंगलमय हनुमान मेरे मित्रो कई लोग मुझसे हनुमान चालीसा की
सिद्धि की जिज्ञासा करते है ! 3 फरवरी को मंगलवारीय पूर्णिमा + पुष्य
नक्षत्र का शुभ योग पर सर्व जन हितार्थ श्री हनुमान चालीसा की साधना
प्रस्तुत करते है, जो मुझ सहित अनेकानेक साधको एवं हनुमान भक्तो द्वारा की
हुई है ! इसकी साधना आज मंगलवार से शुरू
करे ! इसके लिये आप को आवश्यकता है हनुमान जी के एक मनभावन सुन्दर चित्र
की, लकड़ी की चौकी, धूप , दीप, फल, धोती, सिंदूर, लाल कपड़ा,108 चने या तिल
की रेवड़ी के दाने एवं स्वयं के लिए कुशासन या उनी कम्बल की ! यह साधना 21
दिनो की है ! या तो लगातार 21 दिनों तक प्रतिदिन यह साधना करे या यह हर
मंगलवार को कुल 21 मंगलवारयह साधना करे ! साधना के लिये एकांत आवश्यक है!
साधना के दिन स्नान आदि से निवृत हो लाल धोतीपहन के कुश या उन के आसन पर
बैठ कर अपने सामने लकड़ी के पटे ( पाटिये ) पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर
हनुमान जी के चित्र को स्थापित करे ! उन्हे सिंदूर से तिलक करे राम राम कह
कर आने की प्रार्थना करे ! फिर धूप दीप करे फल भेंट करे तथा जो 108 चने या
तिल की रेवड़ी आपने ली थीवे सामने एक कटोरी मे रखें ! इस साधना मे आप को
श्री हनुमान चालीसा के 108 पाठ करने है ! 21 मंगलवार मे पूजा के बाद आप
हनुमान-चालीसा पढ़ते जाए और एक पाठ होने पर एक चना या तिल की रेवड़ी हनुमान
जी को चढ़ाते जाए इस के बाद जितने चने आप पाठ के समय चढा चुके उन्हे अलग रख
ले और जो बच गये उन्हे अलग 21 दिनो मे 108 पाठ को आप अपनी सुविधानुसार बाट
ले पर पूजा पाठ का क्रम यही रहेगा ! 21 वें दिन आप पूरे 108चने चढ़ा चुके
होंगे अंतिम दिन पाठ पूरे होनेपर मंदिर जाए और साधना के दौरान भी हनुमत
दर्शन करते रहे ! साधना के समय कम से कम मंगलवार व शनिवार को ब्रम्हचर्य
आवश्यक है ! कुछ भी हो कैसा भी संकट आये आपने साधना शुरू कर दी तो छोड़ना
नही प्रभु आपकी परीक्षा भी ले सकते है ! साधना से विचलित करेंगे पर आप
दृढरहे क्योकि भक्ति मे अटूट शक्ति है और एक बार आपने यह साधना कर ली तो जो
आनंद और जीवन मे उत्साह का प्रवाह होगा - वह वर्णन मै अपनी तुच्छ बुद्धि
से नही कर सकता ! इस साधना से निश्चित ही आप की अभिलाषा की पूर्ति होगी ,
क्योकि तुलसीदास जी ने कहा है न -" कवन सो काज कठिन जग माही जो नही होहि
तात तुम पाहि" साधनाका क्रम यही रहेगा 21 दिन तथा अंतिम दिन जो 108 चने या
तिल की रेवड़ी आप ने प्रभु को अर्पण किये थे वो आप ही को खाना है किसी को
देना नही है !
Hi I want know about Hanuman mantra on hung hanumate rudramkaye hung fat
ReplyDeleteCan ladies do this sadhana?
ReplyDeleteGharelu striya kar sqti hy
ReplyDeleteAcharya ji mera Poonam hy kya me hanuman chalisa ki Sadhna mangalwar se kar sqti hu shukla paksh me
ReplyDeleteNice histoyy
ReplyDelete